मनोज श्रीवास्तव को स्थानांतरित करते हुए विभागीय जांच आयुक्त बनाया गया है।
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वहीं लोकायुक्त में दर्ज कई मामले विभागीय जांच आयुक्त के पास होने के कारण अटके हुए हैं।
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मनोज श्रीवास्तव को प्रधान सचिव, संसदीय कार्य विभाग से स्थानांतरित करते हुए विभागीय जांच आयुक्त बनाया गया है।
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उधर, कृषि विभाग का मानना है कि गठाला चूंकि अभी विभागीय जांच आयुक्त हैं इसलिए कार्मिक विभाग ही उन्हें चार्जशीट दे।
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उधर विभागीय जांच आयुक्त सुशील कुमार गुप्ता कहते हैं कि मेरे द्वारा विभाग से जो कागजात मांगे जाते हैं वह विभाग द्वारा समय पर नहीं दिए जाने के कारण बार-बार पेशी लगाई जाती है।
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आप अंदाज लगा सकते हैं कि केवल एक विशेष सहायक, एक हेड क्र्लक और एक चपरासी के जरिए विभागीय जांच आयुक्त कैसे अपना काम कर पाते होंगे बताते हैं कि कई जांचें ऐसी भी हैं जिनमें कई अधिकारियों व कर्मचारियों पर आरोप होते हैं और गवाही के लिए एक साथ दर्जनों लोगों को बुलाना पड़ता है।
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अपर विभागीय जांच आयुक्त अमिताभ वर्मा को प्रधान सचिव पंचायती राज, अपर सदस्य राजस्व पर्षद राजेश गुप्ता प्रशासक स्टेट को-आपरेटिव बैंक, प्रधान सचिव ग्रामीण विकास एस संतोष मैथ्यू को प्रधान सचिव श्रम, पदस्थापन की प्रतीक्षा में रहे अतुल प्रसाद प्रधान सचिव सहकारिता, प्रधान सचिव भवन निर्माण सुधीर कुमार को प्रधान सचिव संसदीय कार्य, सचिव नगर विकास सुधीर कुमार को सचिव गन्ना उद्योग (अतिरिक्त प्रभार एमडी राज्य औद्योगिक विकास निगम), सचिव श्रम संसाधन अमृत लाल मीणा को सचिव ग्रामीण विकास के पद पर स्थानांतरित किया गया है।